गुजरात मिशन पर कांग्रेस को झटका, वाघेला के फैसले से राहुल-सोनिया की बढ़ी मुश्किलें
नई दिल्ली। गुजरात में कांग्रेस अब बिना चेहरे की पार्टी हो गई है। कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस को इतना बड़ा झटका दिया है जिससे राहुल और सोनिया दोनों सकते में हैं। जल्द ही गुजरात में विधानसभा चुनावों का ऐलान होना है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह बड़े झटके से कम नहीं है। वाघेला के इस कदम से 15 साल से दूर गुजरात की सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई है।
वाघेला को हमेशा इस बात का मलाल रहा कि जनसंघ से होने की वजह से कांग्रेस ने कभी उन्हें कांग्रेसी माना ही नहीं। वाघेला ने महज़ 16 साल की उम्र में ही आरएसएस जॉइन किया था ओर 1970 से वो जनसंघ के साथ जुड़े। जनसंघ के जरिए गुजरात में भाजपा कि नींव रखने वाले नेताओं में से हैं वाघेला। जो कि 1996 तक भाजपा के साथ रहे। वाघेला हमेशा कहते हैं कि संघ में काम करते हुए कभी उन्होंने किसी पद का मोह नहीं रखा। हालांकि मैनें अपनी ज़िंदगी में सभी तरह के पद के पावर देखे हैं।
1996 में राष्ट्रीय जनता पार्टी के जरिये वाघेला पहेली पार मुख्यमंत्री बने, एक साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद 1997 में वे कांग्रेस से जुड़ गए। जिसके बाद से गुजरात में कभी कांग्रेस सत्ता पर क़ाबिज़ नहीं हो पाई। 2004 से लेकर 2009 तक जब केन्द्र में मनमोहन सिंह कि सरकार बनी, तब वे बतौर कपड़ा मंत्री रहे। हालांकि 2009 के चुनाव में बापू लोकसभा चुनाव गोधरा की सीट से हारने के बाद 2012 में वाघेला ने कपंडवज सीट से चुनाव जीत गुजरात कांग्रेस में विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
वाघेला के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। पिछले 25 साल से सत्ता के बहार कांग्रेस को इस बार उम्मीद थी कि नरेन्द्र मोदी ओर अमित शाह की गैर मौजूदगी इस बार कांग्रेस को बड़ा फ़ायदा करवा सकती है। शंकरसिंह वाघेला को लोक नेता माना जाता है, गुजरात में ना सिर्फ़ एक समाज या जाति पर उनका प्रभुत्व है बल्कि गुजरात कि ज़्यादातर जाति ओर समाज उनके साथ जुड़े हुए हैं ओर सोशल फेब्रिक भी अच्छी तरह जानते हैं। शंकरसिंह वाघेला अपनी भाषा, लहजा ओर भाषण के जरिये भीड़ जुटाने में माहिर माने जाते हैं, कांग्रेस में वाघेला कि तुलना में एसा कोई बड़ा नेता नहीं है।
शंकरसिंह वाघेला के साथ-साथ उनके 11 से ज़्यादा विधायक समर्थक भी हैं, जो शंकरसिंह वाघेला के कहने पर कांग्रेस छोड़ सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिये ये भी एक बड़ा झटका है। क्योंकि कांग्रेस पहले ही मौजूदा सभी विधायकों को चुनाव में टिकट देने का ऐलान कर चुकी है।
कांग्रेस को सबसे बड़ा नुक़सान 8 अगस्त को राज्यसभा में होगा। वाघेला अपने समर्थक विधायक के साथ कांग्रेस छोड़ देंगे तो कांग्रेस को गुजरात की राज्यसभा सीट से हाथ धोना पड़ेगा। और ये सीट इसलिये भी अहम है क्योंकि इस राज्यसभा की सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल चुनाव लड़ते हैं।
इसलिए एक रैली में वाघेला ने बड़ा खुलासा किया है कि उन्हें कांग्रेस ने 24 घंटे पहले ही पार्टी से निकाल दिया है। वाघेला ने कहा- अभी मैं पार्टी में हूं लेकिन लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे निकाल दिया है। विनाश काले विपरित बुद्धि लेकिन बापू रिटायर होने वाला नहीं है।वाघेला ने कांग्रेस पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते। वाघेला ने कहा कि उनका लंबा सियासी इतिहास रहा है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी रह चुके हैं।
नई दिल्ली। गुजरात में कांग्रेस अब बिना चेहरे की पार्टी हो गई है। कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस को इतना बड़ा झटका दिया है जिससे राहुल और सोनिया दोनों सकते में हैं। जल्द ही गुजरात में विधानसभा चुनावों का ऐलान होना है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह बड़े झटके से कम नहीं है। वाघेला के इस कदम से 15 साल से दूर गुजरात की सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई है।
वाघेला को हमेशा इस बात का मलाल रहा कि जनसंघ से होने की वजह से कांग्रेस ने कभी उन्हें कांग्रेसी माना ही नहीं। वाघेला ने महज़ 16 साल की उम्र में ही आरएसएस जॉइन किया था ओर 1970 से वो जनसंघ के साथ जुड़े। जनसंघ के जरिए गुजरात में भाजपा कि नींव रखने वाले नेताओं में से हैं वाघेला। जो कि 1996 तक भाजपा के साथ रहे। वाघेला हमेशा कहते हैं कि संघ में काम करते हुए कभी उन्होंने किसी पद का मोह नहीं रखा। हालांकि मैनें अपनी ज़िंदगी में सभी तरह के पद के पावर देखे हैं।
1996 में राष्ट्रीय जनता पार्टी के जरिये वाघेला पहेली पार मुख्यमंत्री बने, एक साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद 1997 में वे कांग्रेस से जुड़ गए। जिसके बाद से गुजरात में कभी कांग्रेस सत्ता पर क़ाबिज़ नहीं हो पाई। 2004 से लेकर 2009 तक जब केन्द्र में मनमोहन सिंह कि सरकार बनी, तब वे बतौर कपड़ा मंत्री रहे। हालांकि 2009 के चुनाव में बापू लोकसभा चुनाव गोधरा की सीट से हारने के बाद 2012 में वाघेला ने कपंडवज सीट से चुनाव जीत गुजरात कांग्रेस में विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
वाघेला के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। पिछले 25 साल से सत्ता के बहार कांग्रेस को इस बार उम्मीद थी कि नरेन्द्र मोदी ओर अमित शाह की गैर मौजूदगी इस बार कांग्रेस को बड़ा फ़ायदा करवा सकती है। शंकरसिंह वाघेला को लोक नेता माना जाता है, गुजरात में ना सिर्फ़ एक समाज या जाति पर उनका प्रभुत्व है बल्कि गुजरात कि ज़्यादातर जाति ओर समाज उनके साथ जुड़े हुए हैं ओर सोशल फेब्रिक भी अच्छी तरह जानते हैं। शंकरसिंह वाघेला अपनी भाषा, लहजा ओर भाषण के जरिये भीड़ जुटाने में माहिर माने जाते हैं, कांग्रेस में वाघेला कि तुलना में एसा कोई बड़ा नेता नहीं है।
शंकरसिंह वाघेला के साथ-साथ उनके 11 से ज़्यादा विधायक समर्थक भी हैं, जो शंकरसिंह वाघेला के कहने पर कांग्रेस छोड़ सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिये ये भी एक बड़ा झटका है। क्योंकि कांग्रेस पहले ही मौजूदा सभी विधायकों को चुनाव में टिकट देने का ऐलान कर चुकी है।
कांग्रेस को सबसे बड़ा नुक़सान 8 अगस्त को राज्यसभा में होगा। वाघेला अपने समर्थक विधायक के साथ कांग्रेस छोड़ देंगे तो कांग्रेस को गुजरात की राज्यसभा सीट से हाथ धोना पड़ेगा। और ये सीट इसलिये भी अहम है क्योंकि इस राज्यसभा की सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल चुनाव लड़ते हैं।
इसलिए एक रैली में वाघेला ने बड़ा खुलासा किया है कि उन्हें कांग्रेस ने 24 घंटे पहले ही पार्टी से निकाल दिया है। वाघेला ने कहा- अभी मैं पार्टी में हूं लेकिन लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे निकाल दिया है। विनाश काले विपरित बुद्धि लेकिन बापू रिटायर होने वाला नहीं है।वाघेला ने कांग्रेस पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते। वाघेला ने कहा कि उनका लंबा सियासी इतिहास रहा है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी रह चुके हैं।
Blogger Comment