रामनाथ कोविंद बने 14वे राष्ट्रपति ! देखिये चौकाने वाले आंकड़े !
भारत के नए राष्ट्रपति के लिए शपथ की तैयारी शुरू हो चुकी हैं | राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ से उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत लगभग पहले से ही तय माना जा रही थी | वोटों की गिनती में पहले राउंड से ही रामनाथ कोविंद मीरा कुमार से एक लाख वोट से आगे चल रहे थे | जिस दिन मतदान हुए उसी दिन से रामनाथ कोविंद की जीत लगभग तय ही थी | वोटों की गिनती में नजर इस बात पर रखी जा रही थी कि रामनाथ कोविंद कितने वोटों से जीतेंगे और क्या कोविंद सबसे ज्यादा वोट पाने वाले राष्ट्रपति बन पाएंगे |
सबसे ज्यादा वोट से जीतने का रिकॉर्ड अभी केआर नारायण के नाम पर है | केआर नारायण 9 लाख वोट से जीतकर देश के पहले दलित राष्ट्रपति बने थे |
देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति बने रामनाथ कोविंद
मतगणना में सबसे पहले संसद में हुए मतदान की पेटी खोली गई | इसके बाद आंध्रप्रदेश और असम की मतपेटियां खोली गईं | राष्ट्रपति पद के लिए पूरे देश में 17 जुलाई को 32 जगह पर वोटिंग हुई थी | इस मुकाबले में रामनाथ कोविंद मीरा कुमार से वोट बैंक के मामले में बहुत आगे है | वोटों की गिनती आठ चरणों में पूरी हुई| हर चरण के बाद नतीजे घोषित किये गए | रामनाथ कोविंद को 66 प्रतिशत वोट मिले | कोविंद को 7 लाख 2 हजार 44 वोट मिले | मीरा कुमार को 34% यानी 3,67,314 वोट मिले। प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है | देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे
मतगणना में बीजेपी की तरफ से सुरेश अंगदी, गणेश सिंह, गजेन्द्र शेखावत एजेंट बने वहीं कांग्रेस की ओर से दीपेन्द्र हुड्डा, गौरव गोगई, बीके हरिप्रसाद, टीएमसी के नदिमुल हक़ एजेंट बने | 17 जुलाई को हुए मतदान में 99.41 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें 775 सांसद और 4120 विधायकों ने वोट दिया था | पिछले राष्ट्रपति चुनाव में प्रणव मुखर्जी ने पीए संगमा को हराया था | प्रणव मुखर्जी को 69 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर गया | रामनाथ कोविंद को यूपी से 335 वोट और मीरा कुमार को 65 वोट मिले | इसी के साथ गुजरात में कोविंद को 132 वोट मिले और मीरा कुमार को 49 वोट मिले | इसी के साथ कोविंद को हरियाणा में 73 मध्य प्रदेश से 171, असम से 91, छतीसगढ़ से 57 वोट मिले |
रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर देहात के पाराउख गाँव में हुआ था | कोविंद के पिता मैकूलाल एक वैद्य थे | रामनाथ कोविंद का बचपन बहुत ही साधारण रूप में व्यतीत हुआ | रामनाथ कोविंद ने स्नातक और क़ानून की पढ़ाई कानपूर विश्वविद्यालय से की थी इसके बाद कोविंद प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए दिल्ली आ गये थे |
लोक सेवा आयोग में चयन न होने पर कोविंद ने दिल्ली में ही वकालत करने लगे | कोविंद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के वकील रहे | 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में कोविंद प्रधानमन्त्री के निजी सचिव भी बने | जनता सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी | दिल्ली आने के बाद कोविंद आरएसएस से जुड़े और उसके बाद 1991 में कोविंद बीजेपी की राजनीति में सक्रिय रूप से जुड़े | कोविंद घाटपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़े लेकिन हार गए थे |
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