किसी ने नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति बनते ही ये हो सकता है रामनाथ कोविंद का पहला काम
देश में कई दिनों से चली उठा-पटक के बीच अंततः गुरुवार 20 जुलाई को भारी मतों से जीता कर रामनाथ कोविंद को देश का अगला राष्ट्रपति चुना जा चुका है. हालाँकि एनडीए ने जिस वक़्त से राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद का नाम सुझाया था वो तभी से सुर्ख़ियों में आ गए थे. लेकिन अब उनकी भारी मतों से जीत के बाद हो ना हो लोगों के दिमाग में ये बात तो ज़रूर ही चल रही होगी कि आखिर राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद का पहला काम क्या होने वाला है? हालाँकि लोगों के मन में उठे इस सवाल का अभी कोई पुख्ता जवाब तो नहीं है लेकिन हाँ इस बात पर अनुमान ज़रूर लगाये जा सकते हैं.
बात शुरू होती है सन् 1997 से जब देश में संयुक्त मोर्चे की सरकार हुआ करती थी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री हुआ करते थे. रामनाथ कोविंद जो अब देश के राष्ट्रपति बन गए हैं, उस समय राज्यसभा से सांसद हुआ करते थे. उस समय रामनाथ कोविंद ने मांग उठाई थी कि हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का ये नतीजा होता कि इस रिपोर्ट के सबके सामने आने के बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के कारणों का पता चल जाता लेकिन तब मुलायम सिंह यादव ने यह कह कर हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया कि, हम उसे यूँ ही सार्वजनिक नहीं कर सकते ये एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है.
जान लीजिये क्या है हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट
याद दिला दें कि 1962 के युद्ध की जहाँ भारत-चीन के बीच हुए युद्ध में भारत को हार का सामना करना पड़ा था. दोनों देशों के बीच युद्ध ख़त्म हुआ तो भारत सरकार ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की लेकिन ये क्या? रिपोर्ट आई तो लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उस रिपोर्ट को ये कह कर अलमारी में बंद कर दिया कि ये रिपोर्ट क्लासिफाइड है और इसे यूँ ही सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. लोगों ने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि रिपोर्ट में लिखा गया मुद्दा काफी सवेंदनशील है. तब से लेकर अब तक देश में कई सरकारें आयीं लेकिन कभी भी किसी सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया.
इस रिपोर्ट को इंडियन आर्मी के दो अधिकारियों लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और ब्रिगेडियर जनरल परमिंदर सिंह भगत ने तैयार किया इसीलिए इसे हेंडरसन ब्रू्क्स-भगत रिपोर्ट भी कहते हैं.
बताया जाता है कि एक ऑस्ट्रेलियाई लेखक और पत्रकार नेविल मैक्सवेल को इस रिपोर्ट के कुछ अंश मिल गए. मैक्सवेल उस वक़्त “द टाइम्स ऑफ़ लंदन” में कार्यत हुआ करते थे और भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने दिल्ली में रहकर इसकी रिपोर्टिंग भी की थी. वक़्त बीता और सन् 1970 में मैक्सवेल ने इंडिया-चाइना युद्ध पर एक किताब लिखी जिसमे उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी. मैक्सवेल ने अपनी इस किताब में लिखा कि भारत सरकार के कुछ गलत फैसलों के चलते ही भारत-चीन युद्ध में भारत को हार मिली थी.
मैक्सवेल ने अपनी इस किताब में साफ़-तौर पर ये लिखा था कि इंडिया की ”फॉरवर्ड पॉलिसी’ के कारण चीन ने चिढ़ के भारत पर आक्रमण किया था और दूसरी तरफ भारत की पुरानी हो चुकी इंटेलिजेंस इस बात का पता नहीं लगा पाई. यहाँ तक कि चीन भारत में आक्रमण करने वाला है इस बात का पता किसी भी नेता, यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू भी समय रहते नहीं लगा पाए थे. और इसका क्या अंजाम हुआ वो आज हम सबके सामने है. इस युद्ध में करीब 2000 भारतीय सैनिक मारे गए और 4000 लोगों को कैद कर लिया गया था.
ऐसे में अब रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि हो सकता है राष्ट्रपति बनने के साथ ही जहाँ वो तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर तो बन ही जायेंगें ऐसे में जायज़ है वो इस रिपोर्ट को मंगवाकर पढ़ भी सकते हैं और इसे सार्वजनिक भी कर सकते हैं.
देश में कई दिनों से चली उठा-पटक के बीच अंततः गुरुवार 20 जुलाई को भारी मतों से जीता कर रामनाथ कोविंद को देश का अगला राष्ट्रपति चुना जा चुका है. हालाँकि एनडीए ने जिस वक़्त से राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद का नाम सुझाया था वो तभी से सुर्ख़ियों में आ गए थे. लेकिन अब उनकी भारी मतों से जीत के बाद हो ना हो लोगों के दिमाग में ये बात तो ज़रूर ही चल रही होगी कि आखिर राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद का पहला काम क्या होने वाला है? हालाँकि लोगों के मन में उठे इस सवाल का अभी कोई पुख्ता जवाब तो नहीं है लेकिन हाँ इस बात पर अनुमान ज़रूर लगाये जा सकते हैं.
बात शुरू होती है सन् 1997 से जब देश में संयुक्त मोर्चे की सरकार हुआ करती थी और मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री हुआ करते थे. रामनाथ कोविंद जो अब देश के राष्ट्रपति बन गए हैं, उस समय राज्यसभा से सांसद हुआ करते थे. उस समय रामनाथ कोविंद ने मांग उठाई थी कि हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का ये नतीजा होता कि इस रिपोर्ट के सबके सामने आने के बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के कारणों का पता चल जाता लेकिन तब मुलायम सिंह यादव ने यह कह कर हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना कर दिया कि, हम उसे यूँ ही सार्वजनिक नहीं कर सकते ये एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है.
जान लीजिये क्या है हैंडरसन-ब्रुक्स रिपोर्ट
याद दिला दें कि 1962 के युद्ध की जहाँ भारत-चीन के बीच हुए युद्ध में भारत को हार का सामना करना पड़ा था. दोनों देशों के बीच युद्ध ख़त्म हुआ तो भारत सरकार ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की लेकिन ये क्या? रिपोर्ट आई तो लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उस रिपोर्ट को ये कह कर अलमारी में बंद कर दिया कि ये रिपोर्ट क्लासिफाइड है और इसे यूँ ही सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. लोगों ने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि रिपोर्ट में लिखा गया मुद्दा काफी सवेंदनशील है. तब से लेकर अब तक देश में कई सरकारें आयीं लेकिन कभी भी किसी सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया.
इस रिपोर्ट को इंडियन आर्मी के दो अधिकारियों लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और ब्रिगेडियर जनरल परमिंदर सिंह भगत ने तैयार किया इसीलिए इसे हेंडरसन ब्रू्क्स-भगत रिपोर्ट भी कहते हैं.
बताया जाता है कि एक ऑस्ट्रेलियाई लेखक और पत्रकार नेविल मैक्सवेल को इस रिपोर्ट के कुछ अंश मिल गए. मैक्सवेल उस वक़्त “द टाइम्स ऑफ़ लंदन” में कार्यत हुआ करते थे और भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने दिल्ली में रहकर इसकी रिपोर्टिंग भी की थी. वक़्त बीता और सन् 1970 में मैक्सवेल ने इंडिया-चाइना युद्ध पर एक किताब लिखी जिसमे उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी. मैक्सवेल ने अपनी इस किताब में लिखा कि भारत सरकार के कुछ गलत फैसलों के चलते ही भारत-चीन युद्ध में भारत को हार मिली थी.
मैक्सवेल ने अपनी इस किताब में साफ़-तौर पर ये लिखा था कि इंडिया की ”फॉरवर्ड पॉलिसी’ के कारण चीन ने चिढ़ के भारत पर आक्रमण किया था और दूसरी तरफ भारत की पुरानी हो चुकी इंटेलिजेंस इस बात का पता नहीं लगा पाई. यहाँ तक कि चीन भारत में आक्रमण करने वाला है इस बात का पता किसी भी नेता, यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू भी समय रहते नहीं लगा पाए थे. और इसका क्या अंजाम हुआ वो आज हम सबके सामने है. इस युद्ध में करीब 2000 भारतीय सैनिक मारे गए और 4000 लोगों को कैद कर लिया गया था.
ऐसे में अब रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि हो सकता है राष्ट्रपति बनने के साथ ही जहाँ वो तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर तो बन ही जायेंगें ऐसे में जायज़ है वो इस रिपोर्ट को मंगवाकर पढ़ भी सकते हैं और इसे सार्वजनिक भी कर सकते हैं.
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